
कौन है अनाज वाले बाबा
प्रयागराज [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। प्रयागराज महाकुंभ 2025 का आयोजन भव्यता के साथ जारी है, जहां लाखों श्रद्धालु आस्था और भक्ति के संगम पर जुटे हैं। इस आयोजन में एक विशेष व्यक्ति ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। ये हैं सोनभद्र जिले के रहने वाले अमरजीत बाबा, जिन्हें ‘अनाज वाले बाबा’ के नाम से जाना जाता है।
अमरजीत बाबा अपनी अनूठी पहल के लिए मशहूर हैं। उन्होंने अपने सिर पर गेहूं, बाजरा, चना और मटर जैसी फसलें उगाई हैं। उनका यह प्रयास पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने और हरियाली को बढ़ावा देने के लिए है। बाबा का मानना है कि वनों की कटाई और बढ़ते प्रदूषण से धरती का संतुलन बिगड़ रहा है। ऐसे में अधिक पेड़-पौधे लगाना और हरियाली को प्रोत्साहित करना बेहद जरूरी है।
पर्यावरण संरक्षण की अनूठी पहल
बाबा ने इस अनूठे तरीके की शुरुआत पांच साल पहले की थी। उनका कहना है कि वे जहां भी जाते हैं, वहां लोगों को पेड़ लगाने और प्रकृति के प्रति जागरूक होने का संदेश देते हैं। सिर पर उगाई गई फसलों को स्वस्थ रखने के लिए बाबा नियमित रूप से पानी डालते हैं। यह नजारा देखने वाले लोगों को हैरान करता है और उन्हें पर्यावरण के प्रति प्रेरित करता है।
किला घाट के पास कर रहे हैं कल्पवास
फिलहाल बाबा प्रयागराज में किला घाट के पास कल्पवास कर रहे हैं। उनकी उपस्थिति महाकुंभ मेले का प्रमुख आकर्षण बन गई है। श्रद्धालु उनकी मेहनत और समर्पण की प्रशंसा कर रहे हैं। बाबा का कहना है कि मेले के बाद वे अपने गांव लौटकर हरियाली को बढ़ावा देने के अपने मिशन को जारी रखेंगे।
महाकुंभ में कई अन्य आयोजन भी किए जा रहे हैं, जिनमें गौ माता के सम्मान में सबसे बड़ा महा यज्ञ शामिल है। यह आयोजन भारतीय संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन जागरूकता का प्रतीक है।
‘अनाज वाले बाबा’ की यह पहल न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह दर्शाती है कि छोटी-छोटी कोशिशें भी पर्यावरण संरक्षण में बड़ा योगदान दे सकती हैं। महाकुंभ जैसे आयोजन में बाबा का संदेश हर किसी को हरियाली बढ़ाने की दिशा में कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है।
बाबा का दैनिक रूटीन
- अपने सिर पर उगाई गई फसलों को स्वस्थ रखने के लिए वे नियमित रूप से पानी डालते हैं।
- यह कदम आगंतुकों को आश्चर्यचकित करता है और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाता है।
महाकुंभ में अन्य विशेष आयोजन
महाकुंभ 2025 में सबसे बड़ा महा यज्ञ आयोजित किया जाएगा। इसका उद्देश्य ‘गौ माता’ को राष्ट्रीय माता के रूप में सम्मान देना और गोहत्या की प्रथा को समाप्त करना है।
- स्थान: ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का शिविर।
- पुजारी: 1100 पुजारियों द्वारा एक महीने तक यज्ञ किया जाएगा।
महाकुंभ का महत्व
तिथियां: 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025।
श्रद्धालु: 45 करोड़ से अधिक।
संगम स्नान: गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर पवित्र स्नान पापों से मुक्ति और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है।